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जानें शिमला मिर्च की फसल से महाराष्ट्र के इन जनपदों के किसान कमा रहे बम्पर मुनाफा

जानें शिमला मिर्च की फसल से महाराष्ट्र के इन जनपदों के किसान कमा रहे बम्पर मुनाफा

शिमला मिर्च (capsicum; shimla mirch) उत्पादन से कृषक बेहतरीन मुनाफा उठा सकते हैं। भारत में महाराष्ट्र राज्य के सांगली, महाराष्ट्र, पुणे, नासिक, शिमला और सतारा मिर्च उगाने वाले प्रमुख जनपद हैं। जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और उन्नत किस्म। अंग्रेजी में कैप्सिकम कही जाने वाली शिमला मिर्च का उत्पादन बागवानी श्रेणी के अंतर्गत आता है। महाराष्ट्र राज्य के कुछ जनपदों में सर्दी के मौसम में शिमला मिर्च का उत्पादन किया जाता है। बतादें कि, शिमला मिर्च पीले, हरे अथवा लाल रंग में मिलती हैं। इसका उत्पादन करने में अत्यधिक परिश्रम एवं खर्च नहीं होता है। अगर पूरे वर्ष शिमला मिर्च की कृषि की जाये तो इसकी तीन फसलें प्राप्त की जा सकती हैं। इसी वजह से शिमला मिर्च का उत्पादन कर किसान मोटा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। बाजार में उपलब्ध हरी, पीले और लाल रंग में मिलने वाली शिमला मिर्च भले ही किसी भी रंग की हो, उसमें विटामिन सी, विटामिन ए एवं बीटा कैरोटीन अच्छी खासी मात्रा में उपलब्ध है। इसके अंदर नाम मात्र के लिए भी कैलोरी नहीं पायी जाती, इसी वजह से यह कोलेस्ट्रॉल को नहीं बढ़ाती है। साथ ही, यह वजन को स्थायित्व रखने में बेहद सहायक होता है। महाराष्ट्र राज्य में सतारा, सांगली, पुणे और नासिक जनपदों में काफी क्षेत्रफल पर इसका उत्पादन किया जाता है।

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शिमला मिर्च अगस्त एवं सितंबर में लगायी जाती है एवं जनवरी व फरवरी के माह में कटाई की जाती है। मध्यम से अधिक काली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त होती है। नदी के किनारे उपजाऊ जमीन भी कृषि हेतु पर्याप्त है। शिमला मिर्च के उत्पादन हेतु मृदा का पीएच मान ६ से ७ के मध्य होना अति आवश्यक है, उपज की मात्रा शिमला मिर्च की प्रजाति एवं देखरेख पर निर्भर करती है। इसलिए उत्पादन का क्षेत्रफल प्रति हेक्टेयर १५० से ५०० क्विंटल तक हो सकती है। उत्पादन में लगायी गयी लागत के अतिरिक्त शिमला मिर्च की एक फसल से किसान ५ से ७ लाख रुपये तक अर्जित कर लेते हैं।

किस प्रकार करें जल एवं उर्वरकों का समुचित प्रयोग

खेत को तैयारी करने के दौरान २५-३० टन गोबर का सड़ा हुआ खाद एवं कंपोस्ट खाद का उपयोग करना चाहिए। आधार खाद के रूप में बुवाई के वक्त ६० किलोग्राम नत्रजन, ६०-८० किलोग्राम स्फुर, ६०-८० किलोग्राम पोटाश डालना है। नत्रजन को दो भागों में विभाजित करके खड़ी फसल में रोपाई के ३० व ५५ दिन उपरांत टाप ड्रेसिंग के समकक्ष छिड़कना होगा। नाइट्रोजन रोपण के १ माह के उपरांत एवं दूसरे रोपण के ५० दिन उपरांत दिया जाना चाहिए। शिमला मिर्च की बुवाई से लेकर शीघ्र बढ़ोत्तरी हेतु नियमित रूप से अत्यधिक जल की जरुरत होती है। फूलों और फलों को नियमित रूप से पानी दें, एक सप्ताह के नियमित अंतराल पर पानी देना चाहिए।
वैज्ञानिकों द्वारा विकिसत की गई शिमला मिर्च की नई किस्म से किसानों को होगा दोगुना मुनाफा

वैज्ञानिकों द्वारा विकिसत की गई शिमला मिर्च की नई किस्म से किसानों को होगा दोगुना मुनाफा

आईसीएआर शिमला केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा शिमला मिर्च की 562 नवीन किस्म विकसित कर दी है। वर्तमान में किसान 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हाँसिल कर रहे हैं। लेकिन शिमला मिर्च की इस नई प्रजाति से किसान भाई 50 क्विंटल तक पैदावार उठा सकते हैं। भारत में किसान खेती को तकनीकी समझदारी से कर के लाखों रुपये का मुनाफा अर्जित करते हैं। किसानों का भी यही प्रयास रहता है, कि कैसे वह बेहतरीन उत्पादन प्राप्त कर सकें। वैज्ञानिकों द्वारा भी निरंतर ऐसे बीज तैयार करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। जिनसे किसान खेती कर बुवाई कर मोटा उत्पादन ले सकें। वैज्ञानिकों की तरफ से विकसित की गई नवीन प्रजातियों में जल की आवश्यकता न्यूनतम रहती है। साथ ही, खर्च कम होता है, जबकि आय बहुत ज्यादा हो जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान शिमला ने पहाड़ी राज्यों हेतु शिमला फसल का नवीन बीज विकसित कर दिया है। इस बीज से पैदावार कर किसान ढाई गुना तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

किसान भाई शिमला मिर्च की नई किस्म से पाएंगे 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन

किसान भाई इस बीज का उपयोग कर अच्छी-खासी पैदावार ले सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बताय है, कि हाइब्रिड शिमला मिर्च की 562 बीज तैयार हो चुका है। इससे किसान भाई 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ले पाएंगे। फिलहाल, इन राज्यों के अंदर 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो रही थी। परंतु, नवीन किस्म वाली फसल की सिंचाई हेतु किसान ढाई गुना तक उत्पादन ले सकते हैं। फसल की सिंचाई होने पर फसल के उत्पादन में 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक वृध्दि हो जाएगी।

इन तीन राज्यों में उत्पादन कर पाएंगे किसान भाई

वैज्ञानिकों ने बताया है, कि नवीन किस्मों को विकसित करने हेतु राज्य विशेष की जलवायु एवं मृदा व सिंचाई की उपलब्धता एवं अन्य कारकों के ऊपर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इस हिसाब से देखा जाए तो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर का पर्यावरण बीज हेतु अनुकूल पाया गया है। यहां किसान इसका उत्पादन करके बेहतर उत्पादन अर्जित कर रहे हैं।
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हिमाचल प्रदेश के लिए 200 क्विंटल ब्रीडर बीज मुहैय्या कराया गया है

आईसीएआर शिमला मिर्च वैज्ञानिकों द्वारा हाइब्रिड बीज भारत के तीन पहाड़ी राज्यों हेतु तैयार हुआ है। आईसीएआर शिमला सेंटर द्वारा इन तीन राज्यों हेतु 300 क्विंटल ब्रीडर बीज मुहैय्या कराया जाना है। जिसमें से एकमात्र हिमाचल प्रदेश के खाते में 200 क्विंटल ब्रीडर बीज जाना है।

इतने किलो ब्रीडर बीज से 2000 क्विंटल बीज होगा तैयार

आईसीएआर (ICAR) शिमला मिर्च की ब्रीड बीज राज्य सरकारों के लिए भी उपलब्ध किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया है, कि 100 किलो ब्रीडर बीज द्वारा 2000 क्विंटल बीज निर्मित कर दिया गया है। इतना ज्यादा बीज होने की वजह से किसानों का बुवाई कार्य बेहद सुगमता से हो रहा है। किसानों को खेती करने के लिए बीज हेतु इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। किसानों के लिए राज्य सरकार सुगमता से बीज मुहैय्या करा रही है।
पंजाब में किसान अपनी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकने को हुए मजबूर

पंजाब में किसान अपनी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकने को हुए मजबूर

आजकल देश के अलग अलग हिस्सों से कहीं बैंगन तो कहीं प्याज के दाम अत्यधिक गिरने की खबरें आ रही हैं। किसान लागत भी नहीं निकल पाने वाली कीमतों से निराश और परेशान होकर अपनी उपज को सड़कों पर ही फेंकना उचित समझ रहे हैं। इसी कड़ी में पंजाब के किसानों को शिमला मिर्च में खासा नुकसान वहन करने की खबरें सामने आ रही हैं। दरअसल। यहां व्यापारी एक रुपये किलो शिमला मिर्च खरीद रहे हैं। किसानों का इससे लागत तो दूर ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है। इसी वजह से दुखी होकर किसान अपनी शिमला मिर्च को सड़क पर फेंकने को मजबूर हो गए हैं। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि के चलते किसानों को काफी हानि हुई है। इससे किसानों की लाखों रुपये की फसल बिल्कुल चौपट हो चुकी है। हालांकि, किसान भाइयों की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हो रही हैं। किसान भाइयों को बागवानी यानी फल, सब्जी की बुवाई में भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत्यधिक उत्पादन होने की वजह से मंडियों में समुचित भाव किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए किसानों को काफी ज्यादा परेशानी हो रही है। किराया तक भी न निकल पाने की वजह से नाराज किसान सब्जियों को सड़कों पर ही फेंकने को मजबूर हो रहा है।

शिमला मिर्च की कीमत पंजाब में 1 रुपए किलो

पंजाब में शिमला मिर्च की स्थिति काफी बेकार हो चुकी है। किसान भाई शिमला मिर्च लेकर मंड़ी पहुंच रहे हैं। लेकिन व्यापारी किसान से 1 रुपये प्रति किलो ही शिमला मिर्च खरीद रहा है। मनसा जनपद में बेहद ही ज्यादा शिमला मिर्च का उत्पादन हुआ है। यहां के किसान भी शिमला मिर्च को अच्छी कीमतों पर मंड़ी में नहीं बेच पा रहे हैं। ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों द्वारा विकिसत की गई शिमला मिर्च की नई किस्म से किसानों को होगा दोगुना मुनाफा

शिमला मिर्च को सड़क पर फेंकने को मजबूर हुए किसान

मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसान भाइयों से शिमला मिर्च की ज्यादा बुवाई करने की अपील की थी। नतीजा यह है, कि मनसा जनपद के कृषकों ने बेहतरीन उत्पादन भी हांसिल कर लिया है। पंजाब की मंड़ियों में शिमला मिर्च की काफी अधिक आवक हो रही है। समस्त शिमला उत्पादक किसान अपनी उपज को लेकर के मंड़ी पहुंच रहे हैं। परंतु, मंड़ियों में उनकी शिमला मिर्च की कीमत 1 रुपये किलो के अनुरूप लगाई जा रही है। इससे किसान हताश होकर अपनी ट्रैक्टर- ट्रॉली पर लदी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहे हैं।

व्यापारी किसानों पर बना रहे दबाव

कहा गया है, कि शिमला मिर्च की ज्यादा आवक देख व्यापारियों द्वारा किसानों पर शिमला मिर्च को 1 रुपये प्रति किलो की दर से बेचने पर दबाव बनाया जा रहा है। इससे किसान काफी आक्रोश में दिखाई दे रहे हैं। पंजाब राज्य में 3 लाख हेक्टेयर में हरी सब्जियां उगाई जाती हैं। 1500 हेक्टेयर में शिमला मिर्च की पैदावार की जाती है। मानसा, फिरोजपुर और संगरूर जनपद में सर्वाधिक शिमला मिर्च का उत्पादन किया जाता है।